बचपन से आज-तक हमने केवल ‘काला कौआ’ ही देखा है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले दिनों मध्य प्रदेश में एक ‘सफेद कौवे’ को देखा गया है। जिसने भी इस कौवे को देखा वो हैरान रह गया कि आखिर एक कौवे का रंग सफेद कैसे हो सकता है कौआ तो काला होता है। लेकिन ये सच है मध्य प्रदेश में इन दिनों एक सफेद कौवे को देखा गया।
इसके देखकर यकीनन कहा जा सकता है कि ये दुर्लभ प्रजाति है, जिसे आज से पहले शायद ही आपने कहीं देखा होगा।
लेकिन, क्या सच में ऐसे सफेद कौवे होते हैं? या फिर ये अनोखा पक्षी है।
वैज्ञानिकों की मानें, तो कौवे का सफेद रंग उसकी आनुवांशिक बीमारी का प्रतीक है। ये बीमारी इंसानों में भी पाई जाती है। ये बीमारी एल्बीनिज़्म जैसी ही होती है। इस बीमारी में काले कौवे का रंग भी सफेद हो जाता है... दुनियाभर में कई ऐसे कौवे हैं, जिनके शरीर पर कहीं न कहीं सफेद धब्बा दिखाई देता है।
ये तो रही वैज्ञानिकों की बात पौराणिक कथाओं में भी इन कौवे के बारे में कुछ कहा गया है। एक मान्यता के अनुसार पहले कौवे का रंग सफेद ही हुआ करता था, एक श्राप के कारण उनका रंग काला हो गया। एक कौवे को एक ऋषि ने अमृत ढूंढने भेजा था, लेकिन उसे ये भी कहा था कि वो अमृत के बारे में केवल जानकारी लेकर आए न कि उसे पी ले। कुछ दिनों की मेहनत के बाद कौवे को अमृत मिल गया, लेकिन अमृत देखकर उसका मन भी डोल गया और उसने अमृत पी लिया। जब आकर उनके ऋषि को इस बारे में बताया तो ऋषि ने गुस्से में उसे श्राप दिया कि आने वाले समय में तुझे लोग अशुभ मानेंगे और तू बुराई का प्रतीक माना जाएगा। इसके अलावा उन्होंने उस सफेद कौवे को काले पानी में डूबा दिया और उसे काला कर दिया। इसके बाद से ही सभी कौवे काले होते हैं और उन्हें अशुभ माना जाता है। लेकिन सफेद कौवे को अशुभ नहीं माना जाता।
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